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"अमीन सायानी...बचपन की आवाज़ का खामोश होना"- राजेश ज्वेल
उज्जैन के पटनी बाजार में तोतला भवन की पहली मंजिल का मकान और गोदरेज की अलमारी के ऊपर रखा ट्रांजिस्टर... हर बुधवार की सुबह से ही ट्रांजिस्टर...

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स्कूल जाने के लिए घर के पिछवाड़े के खेत की मेड़ से जाना होता। बना में सबसे पहले बरगद का विशाल पेड़ पड़ता , जिसके नीचे गर्मी के दिन बीत...
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आजकल कोई गर्मियों में घर के बाहर यानी आँगन में या छत पर नहीं सोता। न गाँवों में , न कस्बों में और न ही शहरों में। न गाँव पहले जैसे र...
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बैतूल में हमारे घर के ठीक पीछे एक टॉकीज हुआ करती थी, जिसका नाम था 'रघुवीर टॉकीज'। इसमें सिर्फ दो शो हुआ करते थे- पहला खेल, जो शाम ...
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